मंगलवार, 11 नवंबर 2008

पण आभै में गूंजता रैसी म्हारा गीत.....................

पण आभै में गूंजता रैसी म्हारा गीत......





जन-जन रा कवि, सबद रिसी, राजस्थानी माटी रा साचा गायक, महान कवि, पद्मश्री कन्हैया लाल सेठिया नीं रैया। आज तारीख ११ नवंबर २००८ नै दिनूगै करीब ६ बजे कोलकाता में आपरै निवास पर वां छेकड़ली सांस ली। वां रो एक दूहो है :-



''बुझसी धूणी देह री, अबै हुवै प्रतीत।
पण आभै में गूंजता रैसी म्हारा गीत।।"



जद तांई आ धरती रैसी, वां रा गीत गूंजता रैसी। सेठिया जी फगत राजस्थानी रा ई नीं, भारतीय साहित्य रा लूंठा कवि हा। राजस्थानी कविता रै मार्फत राजस्थान री संस्कृति अर प्रकृति री खासियतां दुनिया रै सांमी राखण में कामयाब हुया। सगळां सूं बेसी पढ़ीजण-सुणीजण वाळा कवि हा बै। 'धरती धोरां री', पातळ अर पीथल', 'जलमभोम', 'कुण जमीन रो 'धणी' जिसी कवितावां आज भी लोकगीतां री भांत गायी जावै। राजस्थानी में वां १४ किताबां लिखी जिणमें 'रमणियां रा सोरठा', 'गळगचिया', 'मींझर', 'मायड़ रो हेलो', 'लीकलकोळिया', 'लीलटांस' अर 'हेमाणी' आद खास है। मायड़ भासा राजस्थानी री मानता वास्तै बै आखै जीवण संघर्ष करता रैया। मायड़ भासा रै सम्मान में वां रो दूहो है :-,


''मायड़ भासा बोलतां, जिण नै आवै लाज।
इसै कपूतां सूं दुखी, आखो देस-समाज।।"

हिन्दी, अंग्रेजी अर उर्दू में भी वां री मोकळी पोथ्यां छपी है। सेठिया जी नै सरधांजली देवतां थकां श्री रामस्वरूप किसान कैयौ है,

''आज आपां राजस्थान री धरती पर साहित्य री तलवार सूं लड़ण आळो भोत बड़ो जोधो खो दियो।" किसान जी रो दूहो है :-

''सायर सुरग सिधारियो, रोया भर-भर बांथ।
कविता-कड़बी काटतो, धरग्यो दांती पांथ।।"

जनवाणी परिवार कानीं सूं परलीका में सरधांजली सभा १३ नवंबर नै राखी है। पधारज्यो सा!

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शुक्रवार, 7 नवंबर 2008

नेता बैठ्यो ताकड़ी, चमचा घालै बाट...............


काचा रैग्या रोट (रामस्वरूप किसान)



नेता बैठ्यो ताकड़ी, चमचा घालै बाट।
परजा देखै बापड़ी, बां लोगां रा ठाठ।।
तोलो करतब-ताकड़ी, नेतावां नै घाल।
तोलो क्यूं उण ताकड़ी, जिण में तूलै माल।।
नेताजी इक पालड़ै, दूजै सिक्कां-बो`ळ।
मिनख तुल्यो कै मिनखपणो, होगी रोळ-गिदोळ।।
तूल्यो नेता ताकड़ी, सिक्कां कई हजार।
बोझ बतायो मांस रो, नईं गुणां रो भार।।
मन काळो तन ऊजळो, कोनी मूंढै काण।
सिर पर गंठड़ी झूठ री, नेतावां पैचाण।।

मिंदर संग मसीत नैं, लड़ा न आई लाज।
करणो चावै मिनखड़ा! लासां ऊपर राज।।

टूटै सारो देसड़ो, बोट न टूटै एक।
नेतां री इण नीत सूं, सायब राखै टेक।।

मिनख मिनख रै बीच में, मत चिण भाया! भींत।
वोतान खातर बावळा! माड़ी कदे न चींत।।

मिनख बोट नै बोट ले, ओ है एक कळंक।
आछो होवै सौ गुणो, बीं राजा सूं रंक।।

लासां माथै बोट ले, हरख्या नेता जीत।
परजा आंगण पीटणो, बां रै आंगण गीत।।

मत मत दे उण लीडरां, जिणां गई मत मार।
उण हार्यां जग जीतसी, उण जीत्यां जग हार।।

रैयत मांगै रोटड़ी, राजा देत चुणाव।
फूंक तेल द्यै तेलड़ो, कीकर हुवै बचाव।।

आं कारां में बावळा! बळै कमेरो खून।
स्याणो माणस नीं चढै, चढै मारियो पून।।

नेतां लीन्यो फैसलो, गोळ ढाळ नै मेज।
गेरो फूट समाज में, बण ज्याओ अंगरेज।।

कुरसी खातर देस में, नित बाजै है जूत।
आतंक नाचै देस में, दिल्ली नाचै भूत।।

लासां ऊपर गीध ज्यूं, गद्दी ऊपर आज।
पूत लड़ै इण देस रा, कोनी आवै लाज।।

नेता नोचै मांस ने , सेठां काढै खाल।
मरग्यो म्हारो देसड़ो, लुटै मुसाणां माल।।

झटका देख चुणाव रा, देख चुणावां भेस।
लाठी बाजै देस में, लूटण खातर देस।।

परमट बांटै लूट रा, साल पांचवैं लोग।
हाथ जिकै रै लागज्या, बो ही भोगै भोग।।

नेता मांगै बोटड़ा, जोड़-जोड़ नै हाथ।
बोट नईं ऐ लूट रा, परमट मांगै स्यात।।

इबकै-इबकै बेलियो, ओरूं देद्यो बोट।
पांच साल में नईं सिक्या, काचा रै`ग्या रोट।।

नेता मांग्या बोटड़ा, थूक पान री पीक।
म्हूं के कम हूं लूट में, बो के लूटै ठीक।।

लाखूं अठै गरीब घर, गया बाढ में डूब।
नेतावां श्रधान्जली, मदद करैली खूब।।

बै देवै श्रधान्जली, म्हे मांगां इमदाद।
सभा करै बै सोक री, म्हे होवां बरबाद।।

नेता निरखै झ्याज चढ, बाढ डूबिया गांव।
पै`लै पानै आयसी, अखबारां में नांव।।

काढ्यो तेल किसान रो, बाती बण्यो मजूर।
दोनूं बळ दीपावळी, करै अंधारो दूर।।

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परलीका की प्रतिभा...................

लक्ष्मीनारायण खाती- श्री अमरसिंह खाती के सुपुत्र श्री लक्ष्मीनारायण खाती का केन्द्रीय विद्यालय संगठन के पीजीटी कैमिस्ट्री (व्याख्याता- रसायन विज्ञान) के लिए चयन हुआ है। आपकी नियुक्ति त्रिपुरा राज्य के अगरतला में हुई है। मिलनसार और मृदुभाषी श्री खाती रसायन विज्ञान में एमएससी और बीएड हैं।
जनवाणी परिवार की ओर से हार्दिक बधाई।

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सोमवार, 3 नवंबर 2008

राजेश चड्ढा की गजले..................

बुल्ले शाह सी यारी रखता हूँ
नानक खुमारी रखता हूं
मीरा के तन मन कृष्ण मैं
सूरत तुम्हारी रखता हूं
अपना फरीदी वेश है
दरवेश दारी रखता हूं
चादर कबीरी जस की तस
खातिर तुम्हारी रखता हूं
ईसा सी माफी दे सकूं
कोसिस ये जारी रखता हूं
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फिर उनको देखा तो आंखें भरी है
अभी तो पुरानी ही चोटें हरी हैं
हमसे तो लफजों का बयान मुश्किल
तेरा लब हिलाना ही शायरी है
उसने कहा था कि बातें खत्म हैं
जला दो ये जितनी किताबें धरी हैं
किस्सा नहीं है ये इल्म-ओ-अदब
कभी तुमने अपनी हकीकत पढ़ी है।
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राजेश चड्ढा (वरिष्ठ उद्घोषक, आकाशवाणी सूरतगढ) कानाबाती- ९४१४३८१९३९

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बुधवार, 29 अक्टूबर 2008

निरालो निजरानो..................






परलीका
रा राजू खी
चड़ गांव रा साहित्यकार अर मायड़ भाषा आन्दोलन रा कार्यकार्तावा ने रे मोके निरालो निजरानो भेंट करयो। राजू खीचड़ एक खेती खड़ नौजवान है अर राजस्थानी मोट्यार परिसद रा जुझारु कार्यकर्ता है। आप दिवाळी रे मोके एक दर्जन अराई अर इतनी ही उकसनी निजराने रे रू
में बाँट'र सगळा रो दिल जीत लियो।



ानकारी
- अराई
अर उकसनी दोनू ही बिलोवने सू जुड्या संज है। अराई सिनिये री गूंथी जावे अर कधावनी बिलोनो आद ठाम टिका'र मेलन रे काम आवे। उकसनी दचाभ री जड्या सू बना जावे। ओ एक तरिया रो ब्रश बन जावे अर कधावनी बिलोनो आद ठाम साफ़ करने रे काम आवे।

==== ओ दुनिया रो न्यारो-निरालो निजरानो है इन में राजस्थानी माट्टी री महक है। इन निजराने रे सामी दुनिया रा सगळा निजराना फीका है।====
==== चंद्रपति देवी (बडेरी लुगाई) ====

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सोमवार, 27 अक्टूबर 2008

दिवाली री मोकळी-मोकळी बधाई.....

आपरे घर में सुख शान्ति रो बासो हुवे।
अन्न धन्न रा भंडार भरे।
धन्न धीनो धान मोकलो बापरे।
सातु सुख बापरे।
दिवाळी री मोकळी-मोकळी बधाई।

जनवाणी परिवार कानी सु दिवाळी री मोकळी-मोकळी बधाई।

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रविवार, 19 अक्टूबर 2008

परलीका में पेयजल संकट...........बिक रहा है पानी













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गुरुवार, 16 अक्टूबर 2008

मायड़भाषा राजस्थानी में हो प्रचार




दिनाक- १६-१०-२००८


हनुमानगढ़ जिले के परलीका गांव में अखिल भारतीय राजस्थानी भाषा मान्यता संघर्ष समिति की युवा इकाई राजस्थानी मोट्यार परिसद की बैठक हुयी। बैठक में समिति के प्रदेश परचार मंत्री विनोद स्वामी, मोट्यार परिसद के बीकानेर संभाग के उपाध्यक्ष सतपाल खाती व् मोट्यार परिसद के हनुमानगढ़ जिला पाटवी संदीप महिया सहित बड़ी संख्या में नौजवान कार्यकर्ता थे। अध्यक्षता कथाकार मेहरचंद धामू ने की।
बैठक में वक्ताओ ने कहा की राजस्थानी राजस्थान की प्रमुख भाषा है तथा राजस्थान के लोग मातृभाषा की उपेक्षा बर्दास्त नही करेंगे। राजस्थानी राजस्थान की प्रथम राजभाषा बन्ने की अधिकारिणी है, मगर इसे दूसरी या तीसरी राजभाषा के रूप में भी मान्यता नही दिया जन राजस्थान की जनता का घोर अपमान है। वक्ताओ ने कहा की राजस्थानी भाषा, साहित्य एव संस्कृति अकादेमी को राज्य की सिरमौर अकादेमी घोषित की जाए। इस अकादेमी का सालाना बजट कम से कम पञ्च करोड़ किया जाए तथा राजस्थानी अकादेमी के अध्यक्ष को भी राज्यमंत्री का दर्जा दिया जाए। इस अवसर पर मोट्यार परिसद के आगामी कर्यकर्मो की रुपरेखा भी तय की गई। निर्णय लिया गया की विधानसभा चुनावो के दौरान मायड़भाषा में परचार करने वाले उम्मीदवारों का सत्कार तथा अन्य सभी का बहिष्कार किया जाएगा तथा जो परचार सामग्री मायड़भाषा में नही होगी, उसकी सार्वजनिक रूप से होली जलाई जायेगी।
मोट्यार परिसद की और से राजस्थानी के मुद्दे पर शीघ्र जनजाग्रति अभियान भी चलाया जाएगा।

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मायड़भाषा राजस्थानी में हो चुनावी परचार





मायड़भाषा पर सत्कार, नही तो बहिष्कार




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गुरुवार, 9 अक्टूबर 2008

बधाई संदेश..............


भारतीय खाद्य निगम द्वारा सम्मानित होने पर हार्दिक बधाई।

नरेश मेहन (हनुमानगढ़) हिन्दी के प्रमुख जनवादी कवि है। प्रकृति प्रेम इनकी कविताओ की खूबी है। आपके दो कविता संग्रह प्रकाशित है-
१- पेड़ का दुःख, २- घर।
बाल कथा कृति 'खेजडी बुआ' भी प्रकाशित हुयी है। आपने अपनी मासूम मुलायम भावः बोध की कविताओ से साहित्य जगत में खूब प्रसिद्धि पाई है।


जनवाणी परिवार की ओर से कवि नरेश मेहन को हार्दिक बधाई।

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