आपणा बडेरा- (1) इमरती देवी
आपणा बडेरा
परलीका : इमरती देवी
परलीका : इमरती देवी
एक जणैं गी जूतियां सूं
सारो बास गांवतरो काढियांवतो
99 वर्षीय इमरती देवी का जन्म घेऊ में और शादी परलीका के चंद्रभाण बैनीवाळ से हुई। अपनी पांचवी पीढ़ी को पालने में लोरी सुनाकर सुलाती हुई पुरानी यादों को ताजा करती हैं और मुस्कराकर कहती हैं-'जमानो ना पैली माड़ो हो अर ना अब। बस बगत-बगत गी बात होवै। बीं जमानैगी कई बातां भोत आछी ही तो ईं जमानै गी भी होड कोनी होवै। जद लुगाइयां हाळी आगै सू़ड करती। खेत गो सगळो काम साम गे घर गो काम ई करती, पण थकेलै सार को जाणती नीं। देसी खाणो हो अर देसी ई रहन-सहन।' उन्होंने अपनी पुरानी चश्मा को साफ करते हुए मानो बरसों पीछे झांका तो जूनी बातें निर्मल झरने की तरह बहने लगीं। 'लुगाइयां भातो ले जांवती तो बीं भातै आळै ठाम में टाबर नै ई सुवा गे ले ज्यांवती। खेत में खोड़स्यो करती अर पछै घरे आ गे कूवां गो पाणी न्यारो ल्यांवती। खाण-पीण में लुगाइयां सागै दुभांत चालती, फेर ई लुगाइयां नै काम गो कोड रैंवतो। घणकरी सासुवां गो सुभाव खरो होंवतो। समाज में बां ई लुगाइयां गी कदर ही जकी खोड़स्यो करती अर काण-कायदै सूं रैंवती। लुगाइयां गी जबान गै ताळो हो। गु़ड-मीठो भी ताळै भीतर रैंवतो। पैलड़ो टेम तो चोखो हो ही। पाणी गा फोड़ा तो हा। बिजळी सार जाणता ई कोनी। आणजाण नै ऊंट हा। हारी-बीमारी गो देसी इलाज ई चालतो। मेळजोळ ई असली धन हो। पीसै सूं जादा आदमी गी बात गो मोल हो। आजकाल तो जमीन-जायदाद गै नाम पर भाई-भाई गो बैरी बण ज्यावै। मेरै कोई सागी भाई कोनी हो तो जमीन-जायदाद सगळी ताऊ गै बेटै भाई गै नाम करदी। बांट-बांट गे अर सागै बैठ गे खाण गो रिवाज हो। सुख-दुख गा सगळा सीरी हा। एक जणैं गी जूतियां सूं सारो बास गांवतरो काढियांवतो। जको आदमी बडेरां गो कैणो कोनी मानतो बीं गी इज्जत ई कोनी ही। कू़डा-कपटी मिनखां नै सगळा ई टोकता। पढ़ाई-लिखाई कम ही अर अंधविसवास घणा। छोटी-छोटी हारी-बीमारी खातर झाड़ा, डोरा-डांडा अर टूणां-टसमण गो स्हारो लेंवता। बीं जमानै में चा तो कोई-कोई घर में ई बणती। ल्हासी-राबड़ी अर दूध गी मनवारां ही। चा तो हारी-बीमारी में दवाई गी जिग्यां बरतीजती।' आज की पीढ़ी को संदेश के नाम पर उन्होंने कहा, 'प्रेम भाव सूं रैणो आछो होवै, रिपिया तो आदमी गै हाथ गो मैल होवै। पण आदमी गी इज्जत सैं सूं मोटी होवै। जठै इज्जत अर प्रेम होवै बीं जिंग्यां सारी चीज आवै।'सारो बास गांवतरो काढियांवतो
प्रस्तुति- विनोद स्वामी, परलीका
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