मा-३ मुं अंधारै भागफाटी उठ'र पै'ली खुद नहावै फेर नुहावै तीन बीसी बरस जूनै पीतळ रै ठाकुर जी नै जकै रा नैण-नक्स दुड़ गिया मा रै हाथां नहावंता-नहावंता।
मोतिया उतरयोड़ी आंख रै सारै ल्या
ठाकुर जी रो मुंडौ ढूंढ'र लगावै भोग अर फेर सगळां नै बांटै प्रसाद जीत मांय हांफ्योड़ी सी।
मा- ४
टाबरां मांय टाबर बडेरां मांय बडेरी हुवै मा। टाबरां मांय कदै'ई बडेरी नीं हुवै मा। पण हर घर मांय जरुर हुवै मा रसगुल्लै मांय रस री भांत।
एक निजर ओम पुरोहित कागद
जलम- ५ जुलाई १९५७, केसरीसिंह (श्रीगंगानगर) भणाई- एम.ए. (इतिहास), बी.एड. अर राजस्थानी विशारद छप्योड़ी पोथ्यां- हिन्दी :- धूप क्यों छेड़ती है (कविता संग्रह), मीठे बोलों की शब्दपरी (बाल कविता संग्रह), आदमी नहीं है (कविता संग्रह), मरूधरा (सम्पादित विविधा), जंगल मत काटो (बाल नाटक), रंगो की दुनिया (बाल विविधा), सीतानहीं मानी (बाल कहानी), थिरकती है तृष्णा (कविता संग्रह) राजस्थानी :- अन्तस री बळत (कविता संग्रै), कुचरणी (कविता संग्रै), सबद गळगळा (कविता संग्रै), बात तो ही, कुचरण्यां। पुरस्कार अर सनमान- राजस्थान साहित्य अकादमी रो 'आदमी नहीं है' माथै 'सुधीन्द्र पुरस्कार', राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी, बीकानेर कानीं सूं 'बात तो ही' पर काव्य विधा रो गणेशी लाल व्यास पुरस्कार, भारतीय कला साहित्य परिषद, भादरा रो कवि गोपी कृष्ण 'दादा' राजस्थानी पुरस्कार, जिला प्रशासन, हनुमानगढ़ कानीं सूं केई बार सम्मानित, सरस्वती साहित्यिक संस्था (परलीका) कानीं सूं सम्मानित। सम्प्रति- शिक्षा विभाग, राजस्थान मांय चित्रकला अध्यापक। ठावौ ठिकाणौ- २४, दुर्गा कॉलोनी, हनुमानगढ़ संगम ३३५५१२ कानाबाती- ०१५५२-२६८८६३ समूठ- ९४१४३-८०५७१