शुक्रवार, 17 दिसंबर 2010

पाखाना कि खजाना

रामगढ़ की तर्कशील सोसायटी ने किया रहस्योद्घाटन

गायब हुआ धन पाखाने की कुंई में खोज निकाला

विनोद स्वामी व अजय सोनी
परलीका. घर में बना पाखाना परिवार का गायब हुआ धन उगलने लगा तो देखने वाले हैरान रह गए। घटना हनुमानगढ़ जिले की नोहर तहसील के भगवान गांव की है। महेन्द्र सिहाग के घर से गत नौ माह से रुपए, जेवर तथा अन्य सामान गायब हो रहा था। जिसे वे दैवीय आपदा या प्रेत-बाधा मानते रहे और झाड़-फूंक वाले सयाणों के चक्कर में पड़े रहे। आखिरकार 16 दिसंबर गुरुवार की रात रामगढ़ की तर्कशील सोसायटी ने रहस्योद्घाटन किया तथा गायब हुआ धन पाखाने की कुंई में खोज निकाला।
सोसायटी ने परिवार के सभी सदस्यों, आस-पड़ोस तथा अन्य संबंधित लोगों से गहन पूछताछ कर हकीकत का पता लगाया और यह रहस्योद्घाटन किया। सोसासटी ने इसे महज मानवीय शरारत माना है तथा शरारती का नाम पूर्णतया गोपनीय रखा गया है। ग्रामीणों की मानें तो इस घटना के बाद उनका जंत्र-मंत्र, डोरा-डांडा व ओझा-सयाणों से विश्वास उठ गया है।

यूं रहा घटनाक्रम

गत मार्च माह में महेन्द्र की पत्नी की सोने की अंगूठी गायब हो गई। इसे उन्होंने भूल से कहीं रखी मानकर या सामान्य चोरी मानकर संतोष कर लिया। फिर घर पर रखे नगदी रुपए अक्सर कम होने लगे। शाम को अगर पांच हजार रुपए कहीं से लाकर रखते तो सुबह तीन हजार ही मिलते। अगस्त 2010 में अचानक घर में ऐसी घटना हुई कि सारे गांव में चर्चा का विषय बन गया। घर से करीब 9 तोला सोने तथा आधा किलो चांदी के गहने संदूक से गायब हो गए। इस घटना से सभी घरवालों के मन में भय व्याप्त हो गया। पास-पड़ोस, रिश्तेदारों से राय आने लगी कि घर में कोई छाया या ओपरी का प्रभाव है। इसे कोई सयाणे को दिखाओ। इसके बाद वे अलवर के एक सयाणे के पास गए जिसने चार किलो घी जोत के लिए व 20 हजार रुपए मांगे और समस्या के समाधान का जिम्मा लिया। इसी क्रम में झुंझुनू, बींझबायला, पल्लू, रावतसर, लखूवाली इत्यादि दर्जनभर गांवों के झाड़-फूंक, डोरा व तंत्र-मंत्र वालों के चक्कर काटते रहे। वे लोग अपनी-अपनी पूजा-पद्धत्ति व पाखंड से उनसे प्रसाद व जोत के खर्चे के साथ-साथ नगदी तक की मांग करते रहे। किसी ने पड़ोसियों को चोर ठहराया तो किसी ने घर में ही रोग बताया। किसी ने भूत-प्रेत की बाधा तो किसी ने इसे ओपरी का नाम लेकर डर पैदा किया। नोहर के एक पुजारी, ऐलनाबाद के कम्प्यूटर से जंत्री बनाने वाले पंडितजी तथा अबोहर की तांत्रिक औरत द्वारा हिजरायत में अपराधी को दिखाने सहित पल्लू में जोत वाले बाबा ने उनके डर व मानसिक भय को और ज्यादा बढ़ा दिया।
यह सिलसिला रुका नहीं तथा घर में रोज ऐसी घटनाएं होने लगी। घर से रोजमर्रा की जरूरत का सामान भी गायब होने लगा। ताला-चाबी से लेकर बच्चों के स्कूल बैग व तणी पर सूखते कपड़े गायब होने लगे। पूरा परिवार भय से विचलित हो गया। सयाणों ने सलाह दी कि यह घर छोड़ देने में ही परिवार का भला है। अचानक होने वाली इन घटनाओं के पीछे इस परिवार ने कोई आलौकिक शक्ति का हाथ मान लिया तथा इससे मुक्त होने के लिए पाखंडियों के धक्के चढ़ते रहे।
एक रिश्तेदार ने रामगढ़ की तर्कशील सोसायटी के बारे में बताया तो फोन पर संपर्क कर सारी घटना से सोसायटी को अवगत कराया। दिसंबर माह की 11 तारीख को अन्वेषण शुरू हुआ। सोसायटी के सदस्यों की बातों पर इस परिवार को शुरू में यकीन भी नहीं हुआ। तर्कशील सोसायटी के प्रांतीय प्रतिनिधि राममूर्ति स्वामी, रामगढ़, गोगामेड़ी तथा परलीका गांव की तर्कशील टीम सदस्यों ने भगवान गांव जाकर पूरी स्थिति का जायजा लिया और इस परिवार को भरोसा दिलाया कि घर के पाखाने की कुंई में सारा सामान मौजूद है। बैटरी की रोशनी से वहां देखा गया तो कपड़े जैसा कुछ दिखाई दिया।
अगले दिन सुबह जब ग्रामीणों ने कुंई का चौका हटाकर सामान निकालना शुरू किया तो मौके पर मौजूद ग्रामीण हैरत में पड़ गए।
ग्रामीणों ने तर्कशील सोसायटी के राममूर्ति स्वामी, महेन्द्र सिंह शेखावत, रामकुमार कस्वां, दलीप सहू, आत्मप्रकाश स्वामी, विनोद स्वामी, लीलूराम व अजय को सहयोग के लिए धन्यवाद दिया।

भगवान गांव में पाखाने से रुपए व जेवर निकालते समय मौजूद ग्रामीण।
पाखाने से निकले रुपए।
पाखाने से निकले सोने-चांदी के जेवर।
तर्कशील टीम के साथ परिवार के लोग व ग्रामीण।

क्यों होती हैं ऐसी घटनाएं

तर्कशील सोसायटी के अनुसार इस प्रकार की घटनाओं के पीछे किसी प्रकार की आलौकिक शक्ति का हाथ नहीं होता वरन सामाजिक समन्वय के अभाव में उपजी खंडित मानसिकता की मानवीय शरारतें होती हैं। भगवान गांव की घटना में भी इसी प्रकार की मानवीय शरारत है। तर्कशील सोसायटी का मानना है कि ऐसी शरारत एक मानवीय भूल होती है, अत: शरारती को सुधरने का मौका मिले तथा वह समाज मेें उचित मान-सम्मान से जी सके इसलिए नाम गोपनीय रखा जाता है।

मतिभ्रम का मनोवैज्ञानिक खेल है हिजरायत

तथाकथित तांत्रिक दर्पण, नाखून या दीपक में उस परिस्थिति या घटना को दर्शाने का दावा करते हैं, जो अक्सर छोटे बच्चों को दिखाई जाती है और यह एक मतिभ्रम का मनोवैज्ञानिक खेल है। इसका सहारा लेकर पाखंडी लोग लोगों को मूर्ख बनाते हैं। इसमें लेशमात्र भी सच्चाई नहीं होती है। दर्पण, कालिख लगे नाखून या दीपक की जोत में एकटक बिना पलक झपके देखते हैं तो शुरू मे जो वस्तु सामने होती है वही दिखाई देती है, पर लगातार एक ही तरफ देखने से ऑप्टिक नर्व थक जाती है और उसमें सुन्न होने लगती है और दिमाग को वह पहले जो संदेश दे रही होती है वह नहीं दे पाती। बल्कि बालक के अचेतन में ऐसा संदेश एक रील की भांति पहले से ही चलता रहता है जो उसने पहले सुन रखा हो। फलस्वरूप उसे वही घटना दिखती प्रतीत होने लगती है।

धार्मिक श्रद्धा का नाजायज लाभ

सोसायटी के प्रांतीय प्रतिनिधि राममूर्ति स्वामी का मानना है कि तांत्रिक व पाखंडी आदि लोग धार्मिक श्रद्धा का नाजायज लाभ उठाते हैं और ऐसे पीडि़त परिवारों को एक-दो चीज डराने वाली दिखाकर अपने प्रभाव में ले लेते हैं। वे जादू का सहारा लेकर आग लगना, नींबू से खून टपकना, रेत की चुटकी से पानी मीठा करना, हाथ में चीजें गायब करना आदि दिखाकर प्रभाव उत्पन्न करते हैं। दूसरी तरफ किसी बड़े लाभ का लालच देकर अपनी लूट का शिकार उन्हें बनाते हैं। इससे पूर्व में भी सोसायटी ऐसी सैकड़ों घटनाओं का समाधान कर चुकी है। बौद्धिक वर्ग अपने चिंतन का उपयोग सामाजिक परिवेश को बदलने में करे तो वह दिन दूर नहीं जब समाज में अंधविश्वास रहित स्वच्छ वातावरण का निर्माण होगा।

प्रतिबंध लगे पाखंडियों पर

''पांखडियों का जाल दिनोदिन बढ़ता जा रहा है और इन पर कोई अंकुश नहीं है। सरकार को चाहिए कि इन पर प्रतिबंध लगाया जाए और कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जाए।'' -साहबराम सिहाग, ग्रामीण, भगवान।

रिपोर्टर के मोबाइल नम्बर : 9829176391(Vinod Swami), 9602412124(Ajay Soni)
प्रांतीय प्रतिनिधि राममूर्ति स्वामी के मोबाइल नंबर- 8104313679

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