रविवार, 20 सितंबर 2009

अनार हुए बीमार, किसान हताश







परलीका(हनुमानगढ़), 20 सितम्बर। क्षेत्र में अनारों के करीब बीस बाग अज्ञात रोग की चपेट में हैं। किसानों के अनुसार उनके बागों में पकने से पहले फल दागी हो कर फट रहे हैं। बागवानी विभाग के पास रोग की रोकथाम के कोई पुख्ता इंतजाम नहीं है। इससे यहां के किसान हताश हैं और बैंकों से निरंतर मिल रहे तकाजे उनके लिए परेशानी का सबब बने हुए हैं। काश्तकार मुआवजे व कर्जा माफी की मांग को लेकर लामबद्ध हो रहे हैं। गौरतलब है कि क्षेत्र के फेफाना, रामगढ़, परलीका, रामसरा व जसाना इत्यादि गांवों के प्रगतिशील किसानों ने राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड व उद्यान विभाग-राजस्थान से अनुदान लेकर ये बाग लगाए थे। कुछ काश्तकारों तो अभी अनुदान का भी इंतजार है। खेतों में बड़े-बड़े वाटर-टैंक निर्माण सहित किसानों को कई तरह की शारीरिक, मानसिक और आर्थिक मशक्कत करनी पड़ी और करीब तीन साल की कड़ी मेहनत के बाद जब बाग में फल का वक्त आया तो उन्हें बेहद निराशा का सामना करना पड़ा है। परम्परागत खेती को तो नुकसान हुआ- जसाना के संतलाल सहारण ने बताया कि उनके 20 बीघा में बाग है। फल आ गया है मगर सारे अनार पहले दागी हो रहें हैं तथा बाद में बीच में से अपने आप फट रहे हैं। इससे उनकी पूरी फसल चौपट हो रही है। संबंधित विभाग को कई बार अवगत करवाया गया है मगर न तो यहां विभाग के लोगों ने आकर कोई सुझाव दिया है न ही उनके पास इस रोग की पुख्ता जानकारी है। ऊपर से किसानों को बैंकों की ओर से भी लगातार तंग किया जा रहा है। बागवानी से उनकी परम्परागत खेती को तो नुकसान हुआ ही है, बैंकों के कर्ज से भी वे बुरी तरह दब गए हैं। विभाग की बातों से विश्वास उठा- रामगढ़ के काश्तकार जोगेन्द्रसिंह वर्मा का आक्रोश है कि बागवानी विभाग ने उन्हें बड़े-बड़े सब्ज बाग दिखाए तो उनकी बड़ी-बड़ी बातों में आकर बाग लगाया, तीन वर्षों तक बच्चों की तरह पौधों का पालन-पोषण किया। अपने खेत में अन्य फसलें भी नहीं उगा पाया और अब बाग की हालत खस्ता हो जाने से उनकी आर्थिक स्थिति दयनीय हो गई है। विशेषज्ञों की टीम तुरंत भेजने की मांग- फेफाना के बलवीर बिजारणिंया ने किसानों के ऋण माफ करने की मांग की है। उनका कहना है कि अनुदान समय पर मिलना चाहिए तथा रोग से शीघ्र निजात दिलाने के लिए विभाग को तुरंत विशेषज्ञों की टीम भेजनी चाहिए। किसानों का यह भी आरोप है कि बागवानी विभाग के पास भी न तो इस रोग की रोकथाम के पुख्ता इंतजाम हैं और न ही विभाग अभी रोग का निदान व उपचार बता पाया है। विभाग ने कभी 'विजिट' नहीं की- 32 जेएसएन के किसान शार्दूलसिंह सहारण की भी यही पीड़ है कि विभाग ने कभी यहां की 'विजिट' नहीं की है। किसान जसवंत सिंह चौधरी जसाना, संदीप मईया परलीका, हरिशचन्द्र गोदारा फेफाना, सरदार गुरदित्तासिंह रामसरा की भी कमोबेश यही पीड़ा है।



अधिकारियों के मुख से



''इस संबंध में राज्य सरकार को रिपोर्ट प्रेषित कर दी गई है। किसानों को हुए नुक्सान को लेकर विस्तृत जानकारी भेजी गई है। जहां तक मुआवजे की बात है। यह राज्य स्तर का मामला है। उम्मीद है सरकार कोई नीतिगत निर्णय लेगी।' -डॉ. रविकुमार एस, कलेक्टर हनुमानगढ़



''अनार का दागी होकर फटना क्रॉप मैनेजमेंट की कमी की वजह से होता है। इससे बचाव के लिए फरवरी-मार्च की फ्लावरिंग का ही फल लेना चाहिए। मई-जून में फ्लॉवरिंग के दौरान ज्यादा तापमान होने की वजह से फल दागी होकर फटता है। इन महीनों की फ्लावरिंग को पौधे से अलग कर देना चाहिए।' -डॉ. एस पी सिंह, उपनिदेशक, उद्यान विभाग, श्रीगंगानगर।



''किसानों की मांग के मध्यनजर जिला कलक्टर महोदय ने प्रमुख शासन सचिव एवं उद्यान विभाग को पत्र लिखकर इस समस्या से अवगत करवा दिया है। विभाग के पास अभी तक रोग का निदान और उपचार संभव नहीं हो पाया है। हम शीघ्र ही विशेषज्ञों की टीम अवलोकन के लिए भेज रहे हैं।'-जयनारायण बैनीवाल, सहायक निदेशक, उद्यान विभाग, हनुमानगढ़।



रिपोर्ट - अजय कुमार सोनी, परलीका (हनुमानगढ़) दूरभाष- 9269567088

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