पवन शर्मा की ग़ज़ल
वही शक्लो-सूरत फ़िर वही जबान देना,
दे अगला जन्म तो वतन हिन्दोस्तान देना
तेरी हूरो-जन्नत मुबारक हो तुमको ही,
मुझे वही साथी वही घर मकान देना
ना कर सकें तकसीम कोई बदजात हमको,
मैं करू पूजा तूं फजर की अजान देना
ना मांगू तख्तो-ताज ना कुबेर का खजाना,
दिल में मेरे गीता होठों पे कुरान देना
पवन शर्मा
भादरा
(hanumangarh)
0 टिप्पणियाँ:
एक टिप्पणी भेजें