मंगलवार, 19 अगस्त 2008

पवन शर्मा की ग़ज़ल

वही शक्लो-सूरत फ़िर वही जबान देना,
दे अगला जन्म तो वतन हिन्दोस्तान देना

तेरी हूरो-जन्नत मुबारक हो तुमको ही,
मुझे वही साथी वही घर मकान देना

ना कर सकें तकसीम कोई बदजात हमको,
मैं करू पूजा तूं फजर की अजान देना

ना मांगू तख्तो-ताज ना कुबेर का खजाना,
दिल में मेरे गीता होठों पे कुरान देना

पवन शर्मा
भादरा
(hanumangarh)





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