नेता बैठ्यो ताकड़ी, चमचा घालै बाट...............
काचा रैग्या रोट (रामस्वरूप किसान)
नेता बैठ्यो ताकड़ी, चमचा घालै बाट।
परजा देखै बापड़ी, बां लोगां रा ठाठ।।
तोलो करतब-ताकड़ी, नेतावां नै घाल।
तोलो क्यूं उण ताकड़ी, जिण में तूलै माल।।
नेताजी इक पालड़ै, दूजै सिक्कां-बो`ळ।
मिनख तुल्यो कै मिनखपणो, होगी रोळ-गिदोळ।।
तूल्यो नेता ताकड़ी, सिक्कां कई हजार।
बोझ बतायो मांस रो, नईं गुणां रो भार।।
मन काळो तन ऊजळो, कोनी मूंढै काण।
सिर पर गंठड़ी झूठ री, नेतावां पैचाण।।
मिंदर संग मसीत नैं, लड़ा न आई लाज।
करणो चावै मिनखड़ा! लासां ऊपर राज।।
टूटै सारो देसड़ो, बोट न टूटै एक।
नेतां री इण नीत सूं, सायब राखै टेक।।
मिनख मिनख रै बीच में, मत चिण भाया! भींत।
वोतान खातर बावळा! माड़ी कदे न चींत।।
मिनख बोट नै बोट ले, ओ है एक कळंक।
आछो होवै सौ गुणो, बीं राजा सूं रंक।।
लासां माथै बोट ले, हरख्या नेता जीत।
परजा आंगण पीटणो, बां रै आंगण गीत।।
मत मत दे उण लीडरां, जिणां गई मत मार।
उण हार्यां जग जीतसी, उण जीत्यां जग हार।।
रैयत मांगै रोटड़ी, राजा देत चुणाव।
फूंक तेल द्यै तेलड़ो, कीकर हुवै बचाव।।
आं कारां में बावळा! बळै कमेरो खून।
स्याणो माणस नीं चढै, चढै मारियो पून।।
नेतां लीन्यो फैसलो, गोळ ढाळ नै मेज।
गेरो फूट समाज में, बण ज्याओ अंगरेज।।
कुरसी खातर देस में, नित बाजै है जूत।
आतंक नाचै देस में, दिल्ली नाचै भूत।।
लासां ऊपर गीध ज्यूं, गद्दी ऊपर आज।
पूत लड़ै इण देस रा, कोनी आवै लाज।।
नेता नोचै मांस ने , सेठां काढै खाल।
मरग्यो म्हारो देसड़ो, लुटै मुसाणां माल।।
झटका देख चुणाव रा, देख चुणावां भेस।
लाठी बाजै देस में, लूटण खातर देस।।
परमट बांटै लूट रा, साल पांचवैं लोग।
हाथ जिकै रै लागज्या, बो ही भोगै भोग।।
नेता मांगै बोटड़ा, जोड़-जोड़ नै हाथ।
बोट नईं ऐ लूट रा, परमट मांगै स्यात।।
इबकै-इबकै बेलियो, ओरूं देद्यो बोट।
पांच साल में नईं सिक्या, काचा रै`ग्या रोट।।
नेता मांग्या बोटड़ा, थूक पान री पीक।
म्हूं के कम हूं लूट में, बो के लूटै ठीक।।
लाखूं अठै गरीब घर, गया बाढ में डूब।
नेतावां श्रधान्जली, मदद करैली खूब।।
बै देवै श्रधान्जली, म्हे मांगां इमदाद।
सभा करै बै सोक री, म्हे होवां बरबाद।।
नेता निरखै झ्याज चढ, बाढ डूबिया गांव।
पै`लै पानै आयसी, अखबारां में नांव।।
काढ्यो तेल किसान रो, बाती बण्यो मजूर।
दोनूं बळ दीपावळी, करै अंधारो दूर।।
0 टिप्पणियाँ:
एक टिप्पणी भेजें