गुरुवार, 13 नवंबर 2008

कविता-कड़बी काटतो, धरग्यो दांती पांथ..................


परलीका में सेठियाजी की स्मृति में श्रद्धांजलि सभा आयोजित परलीका, १३ नवम्बर
सेठियाजी व्यक्तित्व और कृतित्व दोनों दृष्टियों से राजस्थानी ही नहीं बल्कि भारतीय साहित्य के गौरव थे। वे निस्संदेह बड़े कवि थे तथा बड़ा कवि कई युगों से कोई एक पैदा होता है। उन्होंने अपनी कविता में राजस्थान का कोई कोना अछूता नहीं छोड़ा। राजस्थान को उन्होंने समग्र रूप में चित्रित किया। वे बेजोड़ कवि थे। सेठिया के रूप में हमने राजस्थान की धरती पर साहित्य की तलवार से लड़ने वाले बहुत बड़े योद्धा को खो दिया है। ये उद्गार बुधवार को हनुमानगढ़ जिले के परलीका गांव में जनकवि कन्हैयालाल सेठिया की स्मृति में आयोजित श्रद्धांजलि सभा में राजस्थानी के वरिष्ठ साहित्यकार रामस्वरूप किसान ने व्यक्त किए। ग्राम की साहित्यिक संस्थाओं व राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय की राष्ट्रीय सेवा इकाई के संयुक्त तत्वावधान में बालिका विद्यालय के प्रांगण में आयोजित इस सभा में बड़ी संख्या में साहित्यकार, साहित्य-प्रेमी, राजस्थानी आंदोलन से जुड़े कार्यकर्ता तथा विद्यार्थी शामिल हुए। इस अवसर पर उपस्थित लोगों ने सेठियाजी के चित्र के समक्ष पुष्प अर्पित किए तथा दो मिनट का मौन रखा। कथाकार मेहरचंद धामू ने कहा कि सेठियाजी ने कविता के माध्यम से राजस्थान की भाषा, संस्कृति, प्रकृति और इतिहास को दुनिया के समक्ष रखा। अखिल भारतीय राजस्थानी भाषा मान्यता संघर्ष समिति के प्रदेश प्रचार मंत्री विनोद स्वामी ने कहा कि सेठियाजी का राजस्थानी को मान्यता का सपना अधूरा रह गया और इस सपने को पूरा करने में राजस्थान का नौजवान पीछे नहीं रहेगा। इस अवसर पर विद्यार्थी सुभाष स्वामी ने सेठियाजी के दोहे, नीलम चौधरी ने गद्य कविताएं 'गळगचिया`, सुनीता कस्वां ने कविता 'राजस्थानी भाषा`, संज्या बिरट ने 'कुण जमीन रो धणी`, नूतन प्रकाश ने 'जलमभोम`, राजबाला खर्रा ने 'धरती धोरां री` व पूनम बैनीवाल ने 'पातळ`र पीथल` आदि कविताओं का भावपूर्ण वाचन किया। इस अवसर पर कवि किसान ने अपने दोहों के माध्यम से काव्यांजलि दी, 'सायर सुरग सिधारियो, रोया भर-भर बांथ, कविता-कड़बी काटतो, धरग्यो दांती पांथ।` व्याख्याता सत्यनारायण सोनी ने संचालन के दौरान सेठियाजी के व्यक्तित्व और कृतित्व पर प्रकाश डाला तथा उनकी कविताओं के उदाहरण प्रस्तुत किए, 'बुझसी धूणी देह री, अबै हुवै परतीत, पण आभै में गूंजता, रैसी म्हारा गीत।` इस अवसर पर राजस्थानी मोट्यार परिषद् के बीकानेर संभाग उपाध्यक्ष सतपाल खाती, जिला महामंत्री संदीप मईया, सुरेन्द्र बैनीवाल, बुजुर्ग जीतमल बैनीवाल, व्याख्याता जगदीश प्रसाद इंदलिया, राष्ट्रीय सेवा योजना के कार्यक्रम अधिकारी पूर्णमल सैनी, बसंत राजस्थानी, हनुमान खोथ व किशनाराम कल्याणी सहित कई वक्ताओं ने विचार रखे। उपस्थित जन-समुदाय ने राजस्थानी भाषा को मान्यता दिलवाने का संकल्प लिया।



सेठियाजी की सैकड़ों कविताएं कंठस्थ
सेठियाजी की कविताओं की लोकप्रियता का अनुमान इस बात से लगाया जा सकता है कि परलीका के राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय की बारहवीं कक्षा में अध्ययनरत छात्रा पूनम बैनीवाल को उनकी सैकड़ों कविताएं, गीत और दूहे कंठस्थ हैं। पूनम को राजस्थानी के अन्य कविओं की कविताएं भी बड़ी संख्या मंे कंठस्थ हैं। सेठियाजी की 'पातळ`र पीथळ`, 'धरती धोरां री`, 'राजस्थानी भाषा` जैसी लम्बी कविताएं भी वह बेहिचक व बिना अटके, धाराप्रवाह और ओजपूर्ण में अंदाज में प्रस्तुत करती है।

प्रस्तुति :- अजय कुमार सोनी परलीका मो - ९६०२४-१२१२४, ९४६०१-०२५२१

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