सोमवार, 13 जुलाई 2009

माली हालत खस्ता फिर भी बीपीएल सूची से बाहर

खुद अंधा, पत्नी विकलांग, बेटा गूंगा और माली

हालत
खस्ता फिर भी बीपीएल सूची से बाहर


परलीका। गरीबों का आज भी कोई धणी-धोरी नहीं है। नजदीकी गांव रामगढ़ के चंदूराम कुम्हार की हालत देखकर तो हर कोई यही कह सकता है। सत्तर साल के चंदूलाल अंधे हैं, तो पत्नी विकलांग। गूंगे बेटे की मजदूरी पर पेट की भूख शांत करने वाले इस परिवार की माली हालत बेहद खस्ता है। कच्चे मकानों की जर्जर दीवारें व छत हादसों को निमंत्रण दे रही है। फिर भी ग्राम पंचायत ने अब तक इस परिवार को बीपीएल सूची में भी शामिल नहीं किया है, और न ही कोई अन्य प्रकार की सरकारी सुविधा इन्हें मिल पाई है। एक तरफ ग्राम पंचायत के सरपंच का दावा है कि इनका नाम बीपीएल सूची में जोड़ दिया गया है जबकि बीपीएल परिवार का कोई लाभ इन्हें न मिलने से यह दावा भी खोखला साबित हुआ है।
वार्ड 9 के निवासी चंदूराम ने बताया कि 'मैं सत्तर साल गो होग्यो। म्हनै कोई भांत गी सरकारी इमदाद अब तक कोनी मिली। पैली तो कार कर लेंवतो पण अब आंख्यां सूं सूझणो बंद होग्यो। मेरै हाण गै बूढियां नै पैंशन मिलै पण म्हनै तो कोनी मिलै। ना मेरो नाम बीपीएल में जोड्यो। कोटा री कणक ई मिल जावै तो ठीक है, पण कोनी मिलै। मेरै च्यार बेटा है। तीन गाम सूं बारै कई बरसां सूं मजूरी करगे पेट भरै। कई बरसां सूं मेरो सबसूं छोटो बेटो मेरै सागै है। जिको गूंगो है। बीं री मजूरी सूं म्हारो पेट भरै। जे म्हनै पिलसण मिल ज्यावै अर बीपीएल में जोड़ देवै तो फोड़ा मिटज्या। मेरो घर ई पड़ण आळो होर्यो है। घरआळी विकलांग है। लीपा-चांकी कुण करै। छात अर भींत चौमासै में ऊपर ई पड़ सकै। पखानो कोनी। ना चालीजै ना दीखै, कठै जावां? जे सरकार कूई खुदाद्यै तो ठीक काम होज्या।'
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'चंदूराम के परिवार की हालत को देखते हुए अबकी बार इनका नाम बीपीएल सूची में जोड़ दिया गया है। इनको इन्दिरा आवास के तहत मकान बनवाने का भी निर्णय लिया गया है, जो शीघ्र ही पूरा हो जाएगा। ग्राम पंचायत की ओर से इनको नि:शुल्क आवासीय भूखंड भी दिया जाएगा।' -राजेन्द्र आर्य, सरपंच, रामगढ़
...विनोद स्वामी, परलीका

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