शुक्रवार, 21 नवंबर 2008

हनवंतसिंघ राजपुरोहित रा ई-टपाळ अजय रै नाम........

प्रिय अजय,
आज गुगल मांय सर्च करता थांरौ ब्लोग मिळ्यौ, बांच'र मन घणौ राजी होयो.
म्हें ईं लारला घणां दिनां सूं राजस्थांनी भासा रै वास्तै किं करण री कोशीश कर रह्‌यौ हूं. राजस्थांन सूं दुर मुंबई अर लंदन मांय हुवण सूं म्हें कोई खास नीं कर सक रह्‌यौ हूं.
आशा है आप म्हारै टच मांय रह्‌वौला अर आपां साथ मिळनै सैयौग सूं काम करांला.
म्हारी वेबसाईट : www.marwad.org
आपरौ,

हनवंतसिंघ राजपुरोहित
मरूवाणी संघ
Mobile (India) 0091 98696 07933
Mobile (London) 0044 7965044556
ई-टपाळ hanvant@marwad.com
Web www.marwad.org
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मुजरौ सा!

आपरौ ई-टपाळ बांच'र लागौ, कै लारला १०-१२ बरसां री म्हारी शोध पुरी व्ही. म्हें कोई एड़ौ मिनख ढुंढ रह्‌यौ हौ जिणरा विचार म्हां सूं मिळै. आपसूं अर राजेंद्रजी सूं बात करनै लागौ कै म्हारी शोध पुरी व्हेगी.

1947 सूं पैली राजपुतानौ अंगरेजां रै गुलाम नीं हौ (अजमेर नै छोड़'र), अर अंगरेजां रै गया पछै 1947 मांय राजपुतानै रौ विलय हुयौ. उण विलय रै साथै आपणी गुलामी ईं चालु होगी. आपणी भासा बोलण रौ हक अर इधकार खतम होग्यौ.

आज भारत सरकार रै सांमै कड़क जवाब देवणवाळौ अर गुजर समाज ज्यूं आंदोलण करण वाळा चावै. लारला 60 बरसां मांय आपणौ आंदोलण सरकार री मनवार करण में ईं लाग्यौ रह‌यौ. आंपा कोई भीख नीं मांग रह्‌या हौ, आंपा आपणै हक री बात कर रह्‌या हौ. सिधी आंगळी सूं कदै ई घी नीं निकळ्या करै.

आज सरकार आपणी आवाज सूण भी लेवै तौ राजस्थांनी नै राजस्थांन री दूजी राजभासा बणा'र छोड देवैला. जिणसूं शिक्षा अर कांम काज मांय तौ राजस्थानी चालण सूं रह्‌यी. सांवैधानिक मान्यता इज एक रस्तौ नीं है, राजस्थांन रै हर सरकारी काम-काज, ST बसां मांय, रेल्वे स्टेशनां पर अर हर एक दुकान रा बोर्ड राजस्थांनी भासा मांय हुवणा चावै.

लारला 60 बरसां मांय आपणी भासा रौ घणौ नुकसाण हुयौ है, हिंदी राजस्थांन री मुख्य भासा हुवण सूं राज्स्थांनी भासा मांय नुंवा सबदां रौ जलम नीं व्हे सक्यौ. साथै-साथै हिंदी भासा रा घणां सबद राजस्थांनी भासा मांय घुस जावण सूं आ हिंदी री बोली लागण लागी.

म्हारौ अर मरुवाणी संघ रौ पुरौ-पुरौ सैयोग मायड़ भासा वास्तै है, म्हें बेगौ ईं राजस्थांन आवण रौ plan बणावूंला.

जै राजस्थांन!
जै राजस्थांनी!

आपरौ,
हनवंतसिंघ राजपुरोहित
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राजवाड़ी राजस्थांन (Royal Rajasthan)
मायड़भासा, अर राजस्थांन रा साचा हेताळु (True lover of state, language and culture)

बीकानेर रा महाराजा गंगासिंघजी राज री नौकरी मांय पैल हमेशां देसी लोगां री राखता. नौकरी सारु टाळती बगत महाजन राजा हरिसिंघजी गंगासिंघजी री कांनी सूं इन्टरव्यू मांय बैठता अर उमेदवार नै औ दूहौ बांचण सारु केह्ता -

पळळ पळळ पावस पड़ै, खळळ खळळ नद खाळ ।

भळळ भळळ बीजळ भळै, वाह रे वाह बरसाळ ॥

इण दूहै नै बोलतां राजस्थांन सूं बारला मिनख 'खलल खलल' करण लागता. तद वांनै जावाब दिरीजतौ - "अठै रा लोग-बाग फगत राजस्थानी जाणै अर समझै अर म्हांनै वां सूं ईं काम पड़ै. इण वास्तै राजस्थानी रा जाणकार लोगां नै ईं इण राज मांय नौकरी मिळसी, दूजां नै नीं."

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आपरौ,

MARUWANI SANGH

0091 98696 07933

+ hanvant@marwad.com

Web www.marwad.org

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राजस्थांनीयां नै ऒळख रौ हेलौ

जे आप राजस्थांनी हौ तौ मायड़ भासा राजस्थांनी सूं हेत राखौ

आज आपां जिकौ किं हां उण होवण रै लारै अठै री जमीन, अठै री संस्क्रती-संस्कार अर अठै रौ इतियास है. इण सैं चिजां सूं मिनख नै जिकौ जोड़ै वा है मायड़ भासा, आपणी भासा.

कांई थे जाणौ हौ ?

राजस्थांनी भासा कुळ चवदै बोलियां सूं बणी है. जिंयां मारवाड़ी, मेवाड़ी, हाड़ौती, ढुंढाड़ी, गोड़वाड़ी, गुजरी, मेवाती इत्याद. घणी बोलियां भासा रै सिमरिध होवण री प्रतीक है.

आजादी सूं पैली 'डिंगल' रै रुप में ૫૪૪ रजवाड़ा मांय आ बिल्कुल समान ही. आजादी रै पछै शिक्षा रौ माध्यम राजस्थांनी नीं व्हिया सूं इण नै बाचण अर लिखण रा अभ्यस्त नीं व्है सकिया. पण एकर अभ्यास सरु करियां पछै आ सब सूं सरळ अर मोवणी लागै. राजस्थांन रा सारा गांवां मांय आ इज बोलीजै.

राजस्थांनी भारतीय भासावां मांय तीजी अर संसार री भासावां मांय नवमी जगां राखै. केन्द्रिय साहित्य अकादमी जिण २२ भासावां नै मांनता दे राखी है, उण मांय राजस्थांनी ईं सांमळ है, पण सांवैधानीक मांनता नीं मिलण सूं प्रशासनिक अर राजकाज रै कांमा मांय अर भारत सरकार रै नोटां माथै आ नीं छप सकी.

राजस्थांनी भासा सूं निकळ्यौड़ी गुजराती भासा संसार री दसमी सबसूं म्होठी बोली जावण वाळी भासा है.

राजस्थांनी भासा मांय एक लाख सूं बेसी हस्तलिखित ग्रंथ बिखरियोड़ा पड्या है. अबार तांई ढाई लाख सबदां रौ विशाळ राजस्थांनी सबद कोस, अंस्सीहजार राजस्थांनी केहवतां अर मुहावरां रा केई छोटा-म्होठा कोश निकळ चुकिया है.

राजस्थांन भारत रौ सबसूं बड़ौ राज्य है अर राजस्थांनी भारत रै सबसूं बड़ा भाग मांय बोली जावण वाळी भासा है.

राजस्थांन, हरियाणा, मध्यप्रदेश (माळवा), उत्तर गुजरात केई भाग, पाकिस्तान (सिंध अर पंजाब रा घणकरा भाग), कश्मिर (गुजरी), अपगांनिस्थांन (गुजरी), चेकोस्लाविया (गुजरी), इरान-ईराक (गुजरी), चीन (गुजरी), तजाकिस्तान (गुजरी) अर केई दखिण एशिया रै देशां री (गुजरी) राजस्थांनी मायड़भासा है.

अंगरेजी राज मांय कश्मिर अर अपगानिस्थांन री गुजरी भासा नै राजस्थांनी भासा रै रुप मांय जणगनणा मांय देखावता पण राजस्थांनी नै मान्यता नीं हुवण सूं इणनै हिंदी री बोली रै रुप मांय प्रस्तुत करै है.

भारत सरकार नै डर है कै संसार री इत्ती बड़ी भासा नै मान्यता दे दी जावै तौ हिंदी भासा रा जे झुठा आंकड़ा पेश करै है अर हिंदी नै विश्व री तिजी सबसूं बड़ी बोली बतावै है वा बात झुटी पड़ जावै. इण कारण राजस्थांनी नै हिंदी री बोली बता'र हिंदी रौ विस्तार बतावणी चावै.

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MARUWANI SANGH

0091 98696 07933, 0044 ७९६५०४४५५६

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अजय,
Thanks for email. काल आपरै पापा अर राजेन्द्रजी सूं बात करनै मन घणौ राजी हुयौ. आपरी जाणकारी रै वास्तै म्हें मरुवाणी संघ अर प्रताप सेना रौ अध्यक्ष हूं.
मरुवाणी संघ री थापना म्हें कोलेज रा दोस्तां नै साथै लेय'र सन ੧੯੯੯ मांय करी ही. जिणरौ उद्देश्य राजस्थांनी भासा नै राजस्थांन री प्रथम अर एकमात्र राजभासा बणावण री ही. म्हारौ मानणौ है, कै UP, बिहार वाळा री भासा हिंदी नै कोई हक कोनी कै राजस्थांन मांय जबरदस्ती रौ हक जमावै. आज मरुवाणी संघ रै सदस्यां मांय चार्टर्ड अकांउन्टंट सूं लेय'र छोटा-मोटा वौपारी है तौ इण मांय मुंबई सूं गुवाहाटी तांई रौ मानखौ ईं है.
प्रताप सेना री थापना ईं राजस्थांन अर राजस्थांनीयां मांय जाग्रती जगा'र एक राजनैतिक पार्टी बणावण री है. कांम मांय अळुझण अर राजस्थांन सूं दुर रह्‌वण रै कारण हालतांई कोई खास कांम नी कर सक्या हां.
आशा है आपा साथै मिळ'र राजस्थान अर राजस्थानी रै हक री जंग नै इणरै सिरै तांई लेय जावांला.
आपरौ,
हनवंतसिंघ राजपुरोहित
रूवाणी संघ

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ई-टपाळ hanvant@marwad.com

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